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आंचलिक लिस्ट अंचल प्रभारी श्री पदुमकुमार पटेल रायगढ़ 9303991334 श्री सुकनाथ पटेल धर्मजयगढ़9009045784 श्री ओमसागर पटेल तमनार8889822225 श्री पिताम्बरसिंह पटेल जांजगीर 9893162400 बिलासपुर श्री तुलसीराम नायक रायपुर9425214258 श्री नरेश्वर सैलानी,…Continue readingZonal Body

About Agharia Samaj

 समाज का संक्षिप्त इतिहास अखिल भारतीय अघरिया समाज का केन्द्रीय समिति का संविधान पारंपरिक लोक कथाओं के अनुसार – अघरिया राजपूत हैं, जो आगरा के निकट निवासरत थे जो लगभग 1550…Continue readingAbout Agharia Samaj

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      श्री रामानुज पटेलसंयोजक9425202495 श्री प्रेमशंकर पटेलसंयोजक 9926708880/9617521880 श्री भुवनेश्वर पटेल केन्द्रीय अध्यक्ष 9827911135 /8770409093 श्रीमती गेसमोती पटेल वरिष्ट उपाध्यक्ष7692839892 श्री द्वारिका पटेल कोषाध्यक्ष 9977045499 श्री दीनदयाल पटेल…Continue readingCentral Body

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अवतार पटेल  (रायगढ़ नगर )  9926750666 राजेश पटेल    (रायगढ़ ग्रामीण) 9340007058 नमिता चौधरी (रायगढ़ महिला) 9993535735       हेमंत पटेल खरसिया 7000428429 सुखनाथ पटेल (धरमजयगढ़ )6260773039 प्रभुशंकर नायक (पथलगांव )7000698665      …Continue readingState Body

मित्रभानु गोटिया जी की जीवन परिचय

🌸 समाज के विशिष्ठ व्यक्तित्व 🌸
🌸🌸 मित्रभानू गौंटिया 🌸🌸
मित्रो आपको याद है वो गीत जिसने 1980-90 के दशक में धूम मचा दिया था। उस समय ऐसा कोई भी कार्यक्रम नहीं होता था जिसमें यह गीत न बजता हो। उस समय कोई भी बारात ऐसी नहीं होती थी जिसमे इस गीत के धुन में युवा थिरके न हों।वो अति लोकप्रिय गीत था
रंगबती ओ रंगबती
रंगबती रंगबती कनक लता
इस मशहूर ओड़िया  गीत को स्वर दिया था श्री जितेन्द्र हरपाल और श्रीमती कृष्णा पटेल जी ने। इस गीत को लिखा था श्री मित्रभानू  गौंटिया जी ने और संगीत बद्ध किया था श्री प्रभूदत्त प्रधान जी ने।
इस गीत की गायिका श्रीमती कृष्णा पटेल जी और गीतकार श्री मित्रभानू गौटिया जी दोनों हमारे अघरिया समाज से हैं।
आकाशवाणी सम्बलपुर द्वारा 1975-76 में रेकॉर्डेड इस गीत को 1978-79 में कोलकाता की एक म्यूजिक कंपनी ने रेकॉर्ड के रुप में निकाला। इस गीत की लोकप्रियता का आलम यह था कि भारत सरकार द्वारा इनको विदेशों में भी कार्यक्रम के लिए भेजा गया । यूरोपीय देशों मे भी रंगोबोती के धुन में , वहाँ के लोग , खूब नाचते रहे है । इस गाने के कारण आप लोगों को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली । इस गीत की लोकप्रियता के लिए आपने इसका पूरा श्रेय आम श्रोताओं को दिया जिन्होंने इस गीत को सराहा और इसे चहूं ओर लोकप्रिय बनाया।
आदरणीय मित्रभानू गौटिया जी को इस वर्ष 2020 में कला के क्षेत्र में योगदान के लिए महामहिम राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है।
मित्रभानू गौटिया जी अघरिया समाज के पहले और एकमात्र पद्मश्री से सम्मानित व्यक्तित्व हैं।
रंगबती गाने की लोकप्रियता के कारण ही आपके गांव बिलुंग के लोगों ने 2004 से ही गांव का नाम “रंगबती बिलुंग” करने की मांग की जा रही थी जिसे राजस्व विभाग ने 2017 में मंजूर किया और केंद्र को प्रस्ताव भेजा जिसे केंद्र द्वारा गांव का नाम “रंगबती बिलुंग” करने की स्वीकृति देने की आशा है।
ओडिशा के सम्बलपुर जिले के बामड़ा तहसील के गांव बिलुंग में 1942 में जन्मे श्री मित्रभानू गौंटिया जी ने 15 वर्ष की आयु में ही कक्षा नवमीं में पढ़ते हुए ही साहित्य सृजन प्रारंभ कर दिया था। आपने 1000 से अधिक संबलपुरी गीतों की रचना की है । उस वक्त उनकी रचनाओं में “मासा ओडासा काली” और “पारीख्य चिंता” प्रमुख थे। प्रकृति प्रेमी मित्रभानु गौंटिया जी ने अपने गीतों और नाटकों में खत्म होते जंगलों पर चिंता जताते हुए जंगलों को बचाने के साथ ही साथ प्रदूषण, शिक्षा और साक्षरता पर जोर दिया। आपकी रचनाओं में मल्ली, ललिता, मोहिनी, काएरी, द्रौपदी हरण, झार बनिया, हायलू, पखाल खुरी थी महारा, रक्ष्य कबाचा, गांव आमर मां और झी रतन प्रमुख हैं।
मित्रभानू जी को गीत लेखन की प्रेरणा अपने नाना जी जो अपने जमाने के प्रसिद्ध कवि थे और अपने शिक्षक कुमार मणि चौधरी जी से मिली जिन्होंने उन्हें  अधिक से अधिक गीत लेखन के लिए प्रोत्साहित किया। एक साक्षात्कार में आपने कहा कि स्थानीय भाषा बोली को उस जमाने में बाहरी लोग नापसंद करते थे लेकिन मां समलेश्वरी की कृपा दृष्टि ने आपको इतने अधिक गीत लेखन संभव किया।
आपको आपके द्वारा कला के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान के लिए पूरे देश और दुनिया में सम्मानित किया जा चुका है।
संगीत के लिए ओडिशा संगीत नाटक अकादमी अवार्ड और राष्ट्रीय आकाशवाणी अवार्ड से सम्मानित श्री मित्रभानू गौंटिया जी को सम्बलपुर विश्वविद्यालय द्वारा भी आपकी रचनाओं के लिए सम्मानित किया जा चुका है।
परम सम्मानिय  मित्रभानू गौंटिया जी स्वस्थ रहें और अपनी कला यात्रा जारी रखें यही हमारी शुभकामनाएं हैं।। आलेख – विजय पटेल ।।